बुधवार आरती (Wednesday Aarti)

बुधवार का दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है।

॥ श्री कृष्ण की आरती ॥
आरती युगलकिशोर की कीजै।तन मन धन न्यौछावर कीजै॥

गौरश्याम मुख निरखन लीजै,हरि का स्वरूप नयन भरि पीजै।

रवि शशि कोटि बदन की शोभा,ताहि निरखि मेरो मन लोभा।

ओढ़े नील पीत पट सारी,कुन्जबिहारी गिरिवरधारी।

फूलन की सेज फूलन की माला,रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला।

कंचन थाल कपूर की बाती,हरि आये निर्मल भई छाती।

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी,आरती करें सकल ब्रजनारी।

नन्दनन्दन बृजभान किशोरी,परमानन्द स्वामी अविचल जोरी।

बुधवार का दिन भगवान गणेशजी की पूजा करने के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है।

॥ श्री गणेशजी की आरती ॥
जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥ x2

एकदन्त दयावन्त,चार भुजाधारी।

माथे पर तिलक सोहे,मूसे की सवारी॥ x2

(माथे पर सिन्दूर सोहे,मूसे की सवारी॥)

पान चढ़े फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।

(हार चढ़े, फूल चढ़े,और चढ़े मेवा।)

लड्डुअन का भोग लगे,सन्त करें सेवा॥ x2

जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥ x2

अँधे को आँख देत,कोढ़िन को काया।

बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया॥ x2

‘सूर’ श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥ x2

(दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी।

कामना को पूर्ण करो,जग बलिहारी॥ x2)

जय गणेश, जय गणेश,जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा॥ x2

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