Category: Bhajan

श्री शेषावतार 1008 श्री कल्लाजी भोग-भजन ( आरती )

ब्यारु करण हेत सुख मैया श्री रघुवर भोग लगैया, जीमो रामा रजनी ओ पुत्र भई ओ, प्यारी ललना आन करो कुछ ब्यारु, जीमो रामा सीतारामजी लक्ष्मणजी भरत शत्रुघ्न अनबैठे चारों भैया, जीमो रामा आप जी जीमो भरत जी से पूछो क्या परोसे मेहतारी जीमो रामा ताती सी पूरी तपत सी जलेबी नाना विधि तरकारी जीमो रामा अवट्यो दूध दहन गवरी को मायं कुछ मिश्री मिलाई, जीमो रामा रतन जड़ित कंचन

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गणेश विनायक जी की कथा

एक गाँव में माँ-बेटी रहती थीं। एक दिन वह अपनी माँ से कहने लगी कि गाँव के सब लोग गणेश मेला देखने जा रहे हैं, मैं भी मेला देखने जाऊँगी। माँ ने कहा कि वहाँ बहुत भीड़ होगी कहीं गिर जाओगी तो चोट लगेगी। लड़की ने माँ की बात नहीं सुनी और मेला देखने चल पड़ी। माँ ने जाने से पहले बेटी को दो लड्डू दिए और एक घण्टी में

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बिंदायक जी की कहानी

एक छोटो सो छोरो आपका घरां से लड़ कर निकलगो और बोल्यो कि आज तो बिन्दायकजी स मिलकर ही घरां पाछो जाऊँगा । छोरो जातो-जातो बावनी-उजाड़ म चल्यो गयो । बिन्दायकजी सोच्या कि यो मेर नाम से घर स निकल्यो है, सो ई न घरां पाछो नहीं भेजागां, तो बाघ-बघेरा खा-जासी। बिन्दायकजी बोल्या कि म ही बिन्दायकजी हूँ, त न के चाहे है, सो मांग ले, पर एक ही बार

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बिन्दायक जी की कहानी

एक बहुत गरीब अंधी बूढ़ी माई थी, उनका एक छोटा सा परिवार था जिसमे उसका बेटा और बहू थी, बूढ़ी माई की भगवान श्री गणेश में बहुत श्रद्धा थी। वह हमेशा गणेश जी की पूजा करती थी। तो एक रोज गणेश जी ने कहां की बुढ़िया माई कुछ मांग मै तेरी पूजा भगती से खुश हूँ। बुढ़िया माई ने कहा मुझे तो मुझे तो मांगना नहीं आता तो गणेश जी

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बिन्दायक जी की कहानी

एक मेंढक और मेंढकी थे। मेंढकी रोज़ गणेश जी की कहानी कहती थी। एक दिन मेंढक बोला कि तू पराये पुरुष का नाम क्यों लेती है ?अगर तू लेगी तो मैं तुझे मारूंगा। राजा की दासी आयी तो पतीले में डालकर अंगीठी पर चढ़ा दिया। जब दोनों सिकने लगे तो मेंढक बोला ,”मेंढकी बहुत कष्ट हो रहा है। तू गणेशजी को याद कर ,नहीं तो हम दोनों मर जायेंगे। “तब

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बिन्दायक जी की कहानी

एक गांव में एक भाई-बहिन रहते थे। बहिन का नियम था कि वह भाई का मुंह देखकर ही खाना खाती थी। बहिन की दूसरे गांव में शादी कर दी गई। वह ससुराल का सारा काम खत्म करके भाई का मुंह देखने आती। रास्ते में झाडियां ही झाडियां थी। उन्हीं झाड़ियों के बीच गणेश जी की मूर्ति और तुलसी माता का हरा-भरा पौधा भी था। वह रास्ते भर कहती जाती- ‘हे

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बिन्दायक जी की कहानी

एक विधवा मालिन थी। उसके चार साल का बच्चा उसकी सास उसके साथ बहुत बुरा व्यवहार करती थी। एक दिन की बात सास ने पोते-बहू को घर से निकाल दिया। इधर-उधर भटकने के बाद मां-बे एक पेड़ के नीचे बैठ गए। वहां सामने ही बिन्दायकजी का मंदिर था। मंदिर से लौटते वक्त लोग उन्हें प्रसाद दे जाते। इससे उनका पेट भर जाता था। एक दिन मालिन ने सोचा कि यदि

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बिन्दायक जी की कहानी

एक शहर में देवरानी जेठानी रहती थी । देवरानी गरीब थी और जेठानी अमीर थी । देवरानी गणेश जी की भक्त थी। देवरानी का पति जंगल से लकड़ी काट कर बेचता था और अक्सर बीमार रहता था। देवरानी जेठानी के घर का सारा काम करती और बदले में जेठानी बचा हुआ खाना, पुराने कपड़े आदि उसको दे देती थी। इसी से देवरानी का परिवार चल रहा था। माघ महीने में

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माघ चौथ की कहानी (Magh Chauth Ki Kahani)

एक साहूकार और एक साहूकारनी थे। वह धर्म पुण्य को नहीं मानते थे। इसके कारण उनके कोई बच्चा नहीं था। एक दिन साहूकारनी पडोसी के घर गयी। उस दिन सकट चौथ था, वहाँ पड़ोसन सकट चौथ की पूजा करके कहानी सुना रही थी। साहूकारनी ने पड़ोसन से पूछा: तुम क्या कर रही हो? तब पड़ोसन बोली कि आज चौथ का व्रत है, इसलिए कहानी सुना रही हूँ। तब साहूकारनी बोली:

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आंवला नवमी की कथा (Amla Navmi Katha)

एक राजा था, उसका प्रण था वह रोज सवा मन आंवले दान करके ही खाना खाता था। इससे उसका नाम आंवलया राजा पड़ गया। एक दिन उसके बेटे बहू ने सोचा कि राजा इतने सारे आंवले रोजाना दान करते हैं, इस प्रकार तो एक दिन सारा खजाना खाली हो जायेगा। इसीलिए बेटे ने राजा से कहा की उसे इस तरह दान करना बंद कर देना चाहिए। बेटे की बात सुनकर

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Aarti (आरती )

शीतला माता की आरती (Aarti of Sheetla Mata)
श्री जगदीशजी की आरती (Shri Jagdishji's Aarti)
श्री सत्यनारायणजी की आरती (Aarti of Shri Satyanarayanji)
बुधवार आरती (Wednesday Aarti)
श्री सीता जी की आरती (Aarti of Shri Sita ji)
शुक्रवार आरती (Friday aarti)
चन्द्रघण्टा माता आरती (Chandraghanta Mata Aarti)
श्री गिरिराज आरती (Shree Grahiraj Aarti)

Chalisa (चालीसा )

Mantra (मंत्र)

Bhajan (भजन)

श्री रामचन्द्र आरती (Shri Ramchandra Aarti)
भगवान् श्रीसत्यनारायणजी की आरती (Lord Shree Sathyanarayanji ki Aarti)
श्री बालाजी आरती (Shri Balaji Ki Aarti)
महादेव आरती (Mahadev aarti)
श्री गोरखनाथ आरती (Shree Gorakhnath Aarti)
श्री गोवर्धन आरती (Shree Govardhan Aarti)
श्री गणेश आरती (Shree Ganesh Aarti)
गणपति की सेवा आरती (Ganpati Seva Aarti)